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Author: Aavishkaar

  • Charcha – An ode to Math and Science

    Atypical day at Aavishkaar begins with a Charcha (discussion) – the entire team huddles around in a circle as one of us sparks up a discussion on a math or a science topic. From algebra to velocity, we explore them all, in a way that picks our brain for hours, days, even weeks. Ganit (Math) and Vigyaan (Science) Charcha are an integral part…

  • रोजमर्रा की जिंदगी में गणित

    दैनिक जीवन में गणित का प्रयोग:- गणित हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। चाहे हम किसी कार्यालय में काम करें या घर पर, हम में से हर कोई गणित का उपयोग अपने नियमित या अनियमित तरीका से करते हैं चाहे हम कहीं भी हों, हमारे जीवन में गणित लगातार बना रहता है। …

  • सीखने से सिखाने तक के सफर में खुद मे बदलाव

    आविष्कार के सफर में यह मेरा तीसरा ब्लॉग है। इन छह महीनों में मैंने बहुत कुछ सीखा है। उन में से कुछ बातें आज मैं इस ब्लॉग के जरिये आपसे साझा कर रही हूँ। आविष्कार में सीखने से सिखाने तक के सफर में मुझमें बहुत बदलाव आया है। आविष्कार में मैंने जो पढ़ा है वह…

  • मेरी गणित की समझ बनने और बनाने तक का मेरा अनुभव एवं उसमे हुई तबदीली

    सीखने और समझ बनाने में बहुत अंतर को दर्शाते हुए कई लोगो के मुँह से ये बाते अक्सर सुनने को मिली हैं मुझे कि गणित लड़कियों की बस की बात नहीं है। गणित सीखना, गणित हल करना, गणित की पढ़ाई करना आदि फ़िज़ूल बातें हैं। पर मुझे आज तक ये पता नहीं चला कि आखिर…

  • गणित शिक्षक के रुप में मेरे पहले 2 सप्ताह

    AAROHAN PROGRAM- A math educators training for women in villages, run by three organisations Sajhe Sapne, Aavishkaar and Ashvattha learning communities. It is a one year long program where young women go through training to become educators. Students of the program are called Aarohan Fellows, who have written this as their first blog.

  • विकास।

    जब पहली बार मैं घर से दूर रहने लगी अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए, क्योंकि कॉलेज घर से दूर था तो हर दिन घर से आना जाना संभव नहीं था और इससे मेरी पढ़ाई पर भी फर्क पड़ रहा था तो घर वालों की रज़ामंदी के साथ मन बनाया कि मैं कॉलेज…

  • आस पास की दुनिया ।

    “अगर अपने आस पास की दुनिया ख़ूबसूरत है तो दुनिया में कुछ  भी बुरा नहीं लेकिन अपने आस पास की दुनिया में ख़ुशी न हो तो कुछ भी अच्छा नहीं” । इंसान अपने आस पास की दुनिया को सरल बनाने के लिए , ख़ुशियों में रहने के लिए या यूँ कह लीजिए कि वह अपनी…

  • “लक्ष्य, कुछ करने का”

    आज तक के अपने अनुभव से मैंने सीखा कि जरूरी नही है कि ज़िंदगी में कुछ करने के लिए या कुछ हासिल करने के लिए हमें शुरुआत से ही अपना “लक्ष्य” बनाना चाहिए या हमारे पास हमारा लक्ष्य होना चाहिए । हाँ यह बिल्कुल सही बात है कि अगर हम अपनी ज़िंदगी में कुछ सोच…

  • बदलती दुनिया में बदलती ज़िंदगी।

      न जाने इस दुनिया में और मनुष्य की ज़िंदगी में यह कैसा बदलाव आ रहा है , पल पल ज़िंदगी बदल रही है । क्या बोल रही है यह ज़िंदगी की नई दास्तान , कहाँ ले जा रही है ज़िंदगी कोई नहीं जानता। क्या हमेशा ऐसा ही चलता रहेगा, क्या अब हमेशा इंसान को…

  • एक दास्तां जिसे मैं सिर्फ इंसानों के साथ ही साझा करना चाहता हूं।

      मैं हमेशा से ही इस प्रश्न का जवाब जानने में काफी दिलचस्पी रखता था कि धरती पर डायनासोर, वनमानुष, सफेद गैंडे या फिर फला-फला पक्षी या जानवर धरती से किस प्रकार विलुप्त हो गये? मुझे उनके बारे में पढ़कर अचम्भा होता था कि क्या वाकई में पहले इतने बड़े-बड़े जीव होते थे? उससे भी…