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रोजमर्रा की जिंदगी में गणित

दैनिक जीवन में गणित का प्रयोग:- गणित हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। चाहे हम किसी कार्यालय में काम करें या घर पर, हम में से हर कोई गणित का उपयोग अपने नियमित या अनियमित तरीका से करते हैं

चाहे हम कहीं भी हों, हमारे जीवन में गणित लगातार बना रहता है। 

 एक दिन हम 10 लड़कियां को पालमपुर बैंक के काम से जाना था । हम ने एक दिन पहले ही सलाह किया कि कल हम सभी 10 बजे बस से पालमपुर जायेंगे। जैसे ही दूसरा दिन शुरू हुआ । हम सभी 6 बजे सुबह उठे और 9 बजे तक तैयार हुए। और हम सभी लड़कियां पालनपुर जाने के लिए एक दूसरे से रुपए ले रहे थे एक दूसरे को मदद कर रहे थे। किसके पास कितना पैसा हैं, कौन किसको कितना रूपए देगा?उसके बाद सुबह का नाश्ता करने के लिए रसोईघर गए। फिर हम 10:30 बजे बस में बैठे। बस लोगों से भरी हुई थी। बस कडंक्टर सब से पैसे ले रहे थे और वो टिकट दे रहे थे। हम सभी ने अपना अपना टिकट कटवाया, हर एक कोई का किराया 15 रुपए लगा।  30 मिनट में हम पालमपुर पहुंचे और हमारे साथ – साथ बस में काफी लोग बैठे हुए थे। हम पालमपुर पहुंच गए। हम बस से उतार कर बैंक की ओर चले। पालमपुर में रास्ते के किनारे बहुत से दुकानें लगे हुए थे। दुकानदार अपना सामान को बेच रहा था। इस तरीका से गणित की आदान प्रदान हो रही थी। हम आगे बैंक की ओर बढ़े, मैंने देखा की कैसे लोग रास्ते में अपने समान के साथ चल रहे है, सामान खरीद रहे हैं। पैसों का लेन देन कर रहे है। तो इस तरह से हम सभी अपने हर दिन की जिंदगी में गणित का इस्तेमाल करते हैं। इससे हमें यह समझ में आता हैं कि किस तरीका से गणित का उपयोग करते हैं।

भोजन की योजना बनाते समय, हम आम तौर पर आदर्श मात्रा में पकाने के लिए विभिन्न चीजों को मापते हैं। यह केवल गणित के कारण ही होता है। यदि हम संख्याओं के बारे में नहीं जानते हैं, तो मात्रा निर्धारित करना, परिवर्तन करना और स्वादिष्ट भोजन पकाना उचित नहीं होता। तो आप कह सकते हैं कि हमारे दिन की शुरुआत गणित के विचार से होती है।

खरीदारी के लिए जाते समय, हम अपनी ज़रूरत की चीज़ों की एक सूची तैयार करते हैं, उसके लिए आवश्यक पैसें की गणना करते हैं। यह गिनती गणित से आने वाली संख्याओं पर निर्भर करती है। संख्याओं के बिना, आप व्यापारी को भुगतान की जाने वाली राशि और आपके द्वारा छोड़ी गई राशि का चयन नहीं कर सकते। तो खरीदारी के कारण भी आप गणित की दुनिया से घिरे रहते हैं जैसे हिसाब किताब रखना।

जब हम सुबह उठते है, समय देखते हैं कितना समय हुआ?

और हम समय को देख कर अपना काम करते हैं। हर समय हम घड़ी को देखते रहते हैं।

रसोई में चाय बनाना है 1 कप चाय बनाने के लिए ½ चम्मच चायपत्ती डालना हैं, 2 चम्मच चीनी डालना हैं।कुछ समय गैस पर गरम करना है तब जा के चाय बनती हैं।दुकान में जाते है सामान खरीदने के लिए तो वहाँ पर भी हम गणित उपयोग करते हैं। दुकानदार से हमें 10 किलो आलू चाहिए। आलू का दाम प्रत्येक किलो 25 रुपए हैं तो हम कुल रुपए निकालने के लिए 25 को 10 से गुणा करेंगे ताकि हम दुकानदार को सही दाम दे सके। 25 ×10 = 250,

250 रुपए दुकानदार को 10 किलो आलू के लिए देने हैं।

ये उदहारण पढ़ कर हम ये समझ गए होंगे की हम अपने दैनिक जीवन में गणित ही गणित उपयोग करते हैं।

थोड़े देर में हम बैंक पहुंचे और बैंक वालों से पूछे की हमें अकाउंट खुलवाना हैं। फिर कुछ देर बैठे रहे क्योंकि बहुत से लोग आते जा रहे थे कोई पैसे निकाल रहे थे तो कोई जमा कर रहा था। हम 2 बजे तक इंतजार किए परंतु मेरे अलावा किसी और का  काम नही बना। जैसे ही बैंक से निकले हम कुछ देर पालनपुर घूमे और आसपास के चीजों को देखने लगे, कितने सुंदर सुंदर कपड़े हैं, लड़कियां रास्ते के किनारे मेंहदी लगवा रही थी। इस तरह हम मस्ती करते हुए घूम रहे थे और 20 – 20 रुपए की पानीपुरी खाए। फिर बस स्टेंड के पास आए और बस की इंतजार करने लगे । हम में से कुछ लड़कियां नहीं आई थी जो आधारकार्ड बनवाने गई थी। हम काफी देर तक बस का इंतजार किया और आखिरकार  हमारी बस आ गई थी और बस पकड़ कर रूम पहुँचे।

By, Gangi Kumari


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